Saturday, November 16, 2024
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Repo Rate: आरबीआई ने लगातार नौवीं बार ब्याज दरों में नहीं किया कोई बदलाव, रेपो रेट 6.5% पर बरकरार

Repo Rate: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ब्याज दरों में लगातार नौवीं बार ब्याज दरों में किसी प्रकार का बदलाव नहीं करने का फैसला किया गया है. द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा के लिए आरबीआई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिनों तक चली बैठक के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार 8 अगस्त 2024 को नीतिगत ब्याज दर रेपो रेट का ऐलान कर दिया है. मीडिया को संबोधित करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने महंगाई को देखते हुए रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति समिति की बैठक में 6 में से 4 सदस्यों ने ब्याज दरों को 6.5 फीसदी पर स्थिर रखने पर अपना मत दिया है. हालांकि, उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति में व्यापक गिरावट का रुख जारी है.

आर्थिक वृद्धि बढ़ाने के लिए रेपो रेट में बदलाव नहीं: आरबीआई

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की मंगलवार को शुरू हुई तीन दिन की बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि मौद्रिक नीति समिति के 6 में से 4 सदस्यों ने रेपो रेट को यथावत रखने के निर्णय के पक्ष में अपना मत दिया. इसके साथ ही, एमपीसी ने उदार रुख को वापस लेने का रुख बरकरार रखा है. उन्होंने कहा कि महंगाई को टिकाऊ स्तर यानी 4 फीसदी पर लाने और वैश्विक अनिश्चितता के बीच आर्थिक वृद्धि को गति देने के मकसद से नीतिगत दर को यथावत रखा गया है.

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रेपो रेट क्या है?

रेपो वह ब्याज दर है, जिस पर देश के बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से कर्ज लेते हैं. आरबीआई मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिए इसका इस्तेमाल करता है. रेपो दर को 6.5 फीसदी के स्तर पर बरकरार रखने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (ईएमआई) में बदलाव की संभावना कम है.

महंगाई कम करने का प्रयास धीमा

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने 2024-25 के लिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 फीसदी पर बरकरार रखा है. चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति के 4.5 प्रतिशत रहने के अनुमान को भी बरकरार रखा गया है. उन्होंने कहा कि खाद्य पदार्थों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी होने की वजह से चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में में महंगाई कम करने के प्रयासों को धीमा कर दिया.

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