हिंदू धर्म में तीज का विशेष महत्व है क्योंकि सुहागन महिलाएं इस व्रत को रखती हैं. तीज व्रत को रखने से पति को दीर्घायु प्राप्त होती है और दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है. तीज व्रत निर्जला रखा जाता है, इसमें अन्न और जल ग्रहण नहीं करते हैं. इस व्रत में तीज माता यानि माता पार्वती और भगवान शिव के साथ गणेश जी की पूजा की जाती है. शिव और पार्वती जी की कृपा से पति और पत्नी के बीच रिश्ता मजबूत होता है. आज हरियाली तीज मनाई जा रही है. हरियाली तीज के अलावा एक हरतालिका तीज भी मनाई जाती है. हरियाली तीज और हरतालिका तीज दोनों ही अलग हैं. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं हरतालिका तीज कब है? हरतालिका तीज और हरियाली तीज में क्या अंतर है? हरतालिका तीज का मुहूर्त क्या है?
हरियाली तीज और हरतालिका तीज में अंतर
ज्योतिषाचार्य डॉ. भार्गव के अनुसार, हरियाली तीज और हरतालिका तीज दोनों में अंतर होता है. हरियाली तीज सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. वहीं हरतालिका तीज भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाते हैं. हरियाली तीज और हरतालिका तीज की तिथि में एक माह का अंतर होता है. ये दोनों ही तीज उत्तर भारत में मनाई जाती है.
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इनके दोनों के अलावा एक कजरी तीज भी होती है. कजरी तीज भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाते हैं. कजरी तीज और हरतालिका तीज में 15 तिथियों का अंतर होता है. कजरी तीज को कजली तीज भी कहते हैं.
किस दिन है हरतालिका तीज 2024?
वैदिक पंचांग के अनुसार, हरतालिका तीज के लिए आवश्यक भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 5 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से शुरू होगी. इस तिथि का समापन 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 1 मिनट पर होगा. उदयातिथि के आधार पर हरतालिका तीज 6 सिंतबर शुक्रवार को मनाई जाएगी.
हरतालिका तीज 2024 मुहूर्त
जो सुहागन महिलाएं हरतालिका तीज का व्रत 6 सितंबर को रखेंगी, उनको पूजा करने के लिए 2 घंटे 31 मिनट का शुभ मुहूर्त प्राप्त होगा. उस दिन तीज पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह में 6 बजकर 2 मिनट से सुबह 8 बजकर 33 मिनट तक है.
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हरतालिका तीज का महत्व
हरतालिका तीज का व्रत अखंड सौभाग्य की कामना से रखा जाता है, ताकि पति की आयु लंबी हो, वह स्वस्थ्य रहे और वैवाहिक जीवन सुखमय हो. इसके अलावा हरतालिका तीज का व्रत वे युवतियां कर सकती हैं, जो मनचाहे वर को पाने की कामना रखती हैं. इस व्रत को करके ही माता पार्वती ने भगवान शिव को प्रसन्न किया था और वे पति के रूप में उनको प्राप्त हुए थे. दोनों का विवाह हुआ था.
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FIRST PUBLISHED : August 7, 2024, 08:26 IST