सावन शिवरात्रि का पावन व्रत 2 अगस्त दिन शुक्रवार को है. महाशिवरात्रि के बाद सावन शिवरात्रि का दिन शिव पूजा का सबसे बड़ा और उत्तम माना जाता है. इस बार सावन शिवरात्रि पर सर्वार्थ सिद्धि योग बना है. सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 10:59 एएम से देर रात 12:49 एएम तक है. सावन शिवरात्रि की पूजा का शुभ मुहूर्त देर रात 12:6 एएम से 12:49 एएम तक है. यह सावन शिवरात्रि पूजा का निशिता मुहूर्त है. वैसे आप सावन शिवरात्रि की पूजा दिन में सूर्योदय के बाद कभी भी कर सकते हैं. सावन शिवरात्रि का व्रत अधिकतर लोग रखते हैं और विधि विधान से भगवान शिव की पूजा करते हैं. शिव पुराण से जानते हैं सावन शिवरात्रि की पूजा विधि और शिवरात्रि व्रत उद्यापन की विधि के बारे में.
सावन शिवरात्रि 2024 पूजा विधि
शिव पुराण के अनुसार, सावन शिवरात्रि को ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए. स्नान, नित्य कर्म आदि करके शिव मंदिर में जाएं और शिव जी की पूजा करें. उनसे प्रार्थना करें कि हे प्रभु! मैं सावन शिवरात्रि का उत्तम व्रत आज धारण कर रहा हूं. आप से मेरी कामना है कि आप मेरे व्रत को निर्विघ्न पूरा करें. काम, क्रोध, शत्रु आदि मेरा कुछ बिगाड़ न सकें. भगवन! आप सदा मेरी रक्षा करें. इस प्रकार व्रत का संकल्प लें.
सावन शिवरात्रि को रात में सभी पूजा सामग्री के साथ आप उस शिव मंदिर में जाएं, जहां पर शिवलिंग की प्रतिष्ठा शास्त्रों के अनुसार की गई है. स्नान करके साफ कपड़े पहनकर शिव पूजा के लिए आसन पर बैठना चाहिए. 108 बार शिव मंत्र का उचारण करते हुए जलधारा शिव जी को अर्पित करें. फिर आप गुरु मंत्र का जाप करते हुए शिव जी को काला तिल अर्पित करें. उसके बाद भर्व, शव, रुद्र, पशुपति, उग्र भीम, महान, भीम, ईशान नामक 8 शिव नामों का उच्चारण करते हुए कमल और कनेर के फूल शिवलिंग पर चढ़ाएं.
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उसके बाद नैवेद्य, धूप और दीप चढ़ाकर भगवान शिव को प्रणाम करें. जप होने के बाद धेनुमुद्रा दिखाकर जल से उसका तर्पण करें. उसके बाद विसर्जन करें. इस तरह से रात के पहले प्रहर में पूजा करें. रात्रि के दूसरे प्रहर में फिर शिवलिंग की पूजा करें. 216 शिव मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर जल अर्पित करें. तिल, जौ, अक्षत्, बेलपत्र, अर्घ्य, बिजौर आदि से पूजा करें. खीर का नैवेद्य अर्पित करें. शिव मंत्र का जाप करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं और संकल्प लें. फल और फूल अर्पित करके उसका विसर्जन करें. रात्रि के तीसरे प्रहर में फिर शिव पूजा करें, लेकिन जौ की जगह पर गेंहू और आक के फूल चढ़ाएं. कपूर से आरती करें. फिर ब्राह्मणों को भोजन कराएं और संकल्प लें.
रात्रि का चौथा प्रहर शुरू होने पर शिव जी का आह्वान करके उड़द, कंगनी, मूंग और 7 धातुओं, शंख, फूल, बेलपत्र आदि को मंत्र जाप के साथ चढ़ाएं. फिर केला और अन्य मिठाई चढ़ाएं. उसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराने का संकल्प लें. सूर्योदय तक उत्सव मनाएं. फिर सूर्योदय के बाद स्नान करके शिव जी की पूजा करें. ब्राह्मणों को भोजन कराएं. उसके बाद शिव जी से प्रार्थना करें.
हे प्रभु! मैंने जाने और अनजाने में तत्पर रहकर व्रत और पूजन किया है. आप मुझ पर कृपा करके इस पूजन को स्वीकार करें. हे प्रभु! मैं चाहें जहां भी रहूं, मेरी भक्ति सदा आप में रहे. यह कहकर पुष्प अर्पित करें. ब्राह्मण को तिलक लगाएं. चरण छूकर आशीर्वाद लें.
शिवरात्रि व्रत का उद्यापन कैसे करें?
शिव पुराण के अनुसार, यदि आप शिवरात्रि व्रत का उद्यापन करना चाहते हैं तो नियम और विधि को जान लें. व्यक्ति को 14 वर्षों तक लगातार शिवरात्रि का व्रत करना चाहिए. फिर त्रयोदशी तिथि को दिन में एक बार भोजन करें. चतुर्दशी के दिन यानि शिवरात्रि को निराहार रहकर व्रत को पूरा करें. रात के समय किसी भी शिवालय में गौरीतिलक मंडप बनाएं. उसके बीच में लिंग और भद्र मंडन बनाएं. वहां पर प्रजापत्य नामक कलशों की स्थापना करें.
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उस कलश के बाएं भाग में माता पार्वती और दाएं भाग में शिव जी की मूर्ति या तस्वीर रखें. उनका पूजन करें. आचार्य की आज्ञा से शिवजी का आह्वान करके पूरी रात विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए. भगवान शिव के नाम का कीर्तन, गीत आदि करते हुए रात्रि व्यतीत करें. अगले दिन सुबह में स्नान करके होम करें. उसके बाद प्रजापत्य का पूजन करके ब्राह्मणों को भोजन कराएं. उनको वस्त्र, आभूषण, बछड़े आदि का दान करें.
फिर महादेव से प्रार्थना करें कि हे प्रभु! हे देवाधिदेव! महादेव! देवेश्वर! शिवरात्रि के इस व्रत से संतुष्ट होकर आप मुझ पर कृपा करें. प्रभु! मैने भक्तिपूर्वक विधि अनुसार इस शुभ व्रत को पूरा किया है. फिर भी कहीं पर कोई गलती हो गई है या कमी रह गई हो तो क्षमा करें. मुझ पर अपनी कृपा दृष्टि करें. मैंने जाने और अनजाने में जो भी जप और पूजन किया है, सफल कर स्वीकार करें.
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FIRST PUBLISHED : August 1, 2024, 10:16 IST