World Lung Cancer Day : जब फेफड़ों की कोशिकाओं में कैंसर कारक वृद्धि होने लगते हैं तो या फेफड़ों के कैंसर की शुरुआत होती है. फेफड़े छाती में मौजूद अंग होते हैं जो सांस लेने की प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं. फेफड़े के कैंसर से विश्व भर में सबसे ज्यादा मौतें होती है, इस घातक बीमारी के कई शुरुआती और खतरनाक लक्षण भी होते हैं. चलिए जानते हैं किन लोगों को लंग कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा होता है.
World Lung Cancer Day : किन लोगों को होता है लंग कैंसर का खतरा?
World Lung Cancer Day : धूम्रपान – सबसे बड़ा कारण
चिकित्सा को एवं शोधकर्ता के अनुसार धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों को फेफड़े के कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा होता है, क्योंकि सिगरेट के धुएं में कैंसर पैदा करने वाले तत्व जिसे कार्सिनोजेंस कहा जाता है, वह पाया जाता है. जैसे ही सिगरेट का धुआं फेफड़ों में जाता है, तभी यह कार्सिनोजेंस फेफड़ों के टिशूज पर तुरंत प्रभाव डालने लगते हैं. हालांकि धूम्रपान करने के कुछ समय तक हमारा शरीर इस नुकसान को झेलने में सक्षम रहता है, लेकिन इस तरह की गतिविधि में लंबे समय तक शामिल रहने से फेफड़ों की कोशिकाएं और ऊतकों मैं काफी क्षति पहुंच चुकी होती है, और समय के साथ यह कोशिकाएं कैंसर कोशिकाओं में बदल जाती हैं. और यह लंग कैंसर की शुरुआत होती है. लंग कैंसर को रोकने के लिए धूम्रपान जैसी बुरी आदत को छोड़ें और अपने आसपास के लोगों को भी इसके प्रति जागरूक करें.
अप्रत्यक्ष धुआं
जो लोग धूम्रपान नहीं करते हैं लेकिन धूम्रपान करने वाले लोगों के आसपास ज्यादा से ज्यादा समय बिताते हैं, तो उन्हें भी फेफड़ों के कैंसर का खतरा होता है, धूम्रपान करने वाले लोगों के धुएं को सांस के द्वारा शरीर के अंदर लेने को सेकंड हैंड स्मोक भी कहा कहा जाता है.
विकिरण चिकित्सा उपचार करने वाले
अगर किसी व्यक्ति ने दूसरे कैंसर के इलाज के लिए छाती पर विकिरण चिकित्सा कराई है, तो यह भी फेफड़ों के कैंसर होने का खतरा बढ़ा देता है. इसीलिए इस तरह का इलाज चुनने से पहले अपने हेल्थ केयर प्रोफेशनल से विचार विमर्श करना बहुत आवश्यक होता है.
रेडान गैस की संपर्क में आने वाले लोग
यूरेनियम, टीन, चांदी, कोयला और दूसरे तरह की खदानों में काम करने वाले लोग रेडॉन के संपर्क में अधिक आते हैं. एक व्यक्ति जो धूम्रपान नहीं करता है और रेडान गैस के संपर्क में अधिक समय तक रहता है उसे लंग कैंसर होने की संभावना 10 से 20% ज्यादा होती है. रेडान इमारतों और घरों में भी पाई जाती है, यह मिट्टी चट्टान और पानी में यूरेनियम के प्राकृतिक विघटन से उत्पन्न होती है.
रसायन फैक्ट्री में काम करने वाले
फैक्ट्री एवं कार्य स्थलों पर जहां पर कैंसर पैदा करने वाले पदार्थ जैसे कि कार्सिनोजेंस के संपर्क में आने से भी फेफड़े का कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. और अगर ऐसे लोग धूम्रपान भी करते हैं तो यह खतरा अधिक बढ़ जाता है. फेफड़ों के कैंसर के लिए जिम्मेदार कार्सिनोजेंस में से कुछ हैं एस्बेस्टस,आर्सेनिक, क्रोमियम और निकल जैसे पदार्थ.
पारिवारिक इतिहास
वह लोग जिनके माता-पिता भाई-बहन या बच्चों को फेफड़े का कैंसर है या फिर हो चुका है, उनमें इस रोग के बढ़ने का खतरा ज्यादा होता है. इसके रोकथाम के लिए नियमित रूप से जांच करवाते रहना आवश्यक होता है. इससे इस खतरनाक बीमारी के बारे में जल्दी पता लगता है और इसका इलाज करना संभव होता है.