इस साल कामिका एकादशी का व्रत 31 जुलाई बुधवार को है. कामिका एकादशी को पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बना है. कामिका एकादशी का व्रत हर साल सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखते हैं. इस व्रत को रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी पाप मिट जाते हैं और उसे जीवन के अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है. यदि आप कामिका एकादशी का व्रत रखते हैं तो आपको पूजा के समय कामिका एकादशी व्रत की कथा जरूर पढ़नी चाहिए. इससे आपको व्रत का महत्व और उससे मिलने वाला पूर्ण फल प्राप्त होता है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं कामिका एकादशी की व्रत कथा के बारे में.
कामिका एकादशी व्रत कथा
एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा कि आपने जिस तरह अन्य एकादशी व्रत के बारे में बताया है, उसी तरह से आप श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के बारे में बताएं. इस पर श्रीकृष्ण ने कहा कि इस एकादशी की कथा और महत्व के बारे में ब्रह्मा जी ने नारद जी को बताया था. वही कथा आपको बताता हूं, जो कुछ इस प्रकार से है-
ब्रह्मदेव ने नारद जी से कहा कि सावन कृष्ण एकादशी को कामिका एकादशी के नाम से जानते हैं. कामिका एकादशी की कथा सुनने मात्र से ही वाजपेय यज्ञ के समान पुण्य फल प्राप्त होता है. इस व्रत में चक्रधारी भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. जो व्यक्ति इस व्रत को करता है, उसे मृत्यु के बाद कोई कुयोनि नहीं प्राप्त होती है. वह पाप मुक्त होकर विष्णु लोक में स्थान प्राप्त करता है.
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कथा अनुसार, एक गांव में एक ठाकुर निवास करते थे. उसे जल्द ही क्रोध आ जाता था. एक दिन वो घर से निकला तो उसका किसी ब्राह्मण से वाद-विवाद हो गया. यह बात इतनी बढ़ गई, उसने उस ब्राह्मण की हत्या कर दी. बाद में उसने पाप और अपराध से मुक्ति के लिए उस ब्राह्मण का अंतिम संस्कार करा चाहा, लेकिन वहां के ब्राह्मणों ने उसे अनुमति नहीं दी. उस ठाकुर पर ब्रह्म हत्या का दोष लगा था.
उस हत्या की वजह से उसे आत्म ग्लानि थी. एक दिन वह एक मुनि से मिला. उसने पूरी घटना बताई और ब्रह्म हत्या से मुक्ति का उपाय पूछा. इस पर उस मुनि ने कहा कि तुमको सावन कृष्ण एकादशी को कामिका एकादशी का व्रत विधि विधान से करना चाहिए. इस व्रत के पुण्य प्रभाव से तुम ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्त हो जाओगे और तुम्हारे पाप भी मिट जाएंगे.
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जब श्रावण कृष्ण एकादशी तिथि आई तो उस ठाकुर ने मुनि द्वारा बताई गई विधि के अनुसार ही कामिका एकादशी का व्रत रखा और भगवान विष्णु की पूजा की. रात के समय में वह भगवान विष्णु की मूर्ति के पास ही सो गया. उस रात स्वप्न में उसे भगवान विष्णु के दर्शन हुए और उन्होंने उसे ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति दे दी.
कामिका एकादशी के अवसर पर जो भी व्यक्ति विधि विधान से व्रत और पूजा करता है, उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
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FIRST PUBLISHED : July 30, 2024, 09:41 IST