वाराणसी : सनातन धर्म में गुरु की पूजा का विशेष महत्व होता है. हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि गुरु को समर्पित होती है और इस दिन भक्त अपने गुरु की पूजा करते है. धार्मिक मान्यता है कि जीवन में सफलता के लिए गुरु का होना जरूरी है. हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन महाभारत के रचयिता महान ऋषि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था, जिसके चलते इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस शुभ अवसर पर पूजा-पाठ और दान-पुण्य का खास महत्व है. इस बार गुरु पूर्णिमा का पर्व 21 जुलाई को मनाया जाएगा. गुरु पूर्णिमा के दिन इस बार ग्रह नक्षत्रों का अद्भुत महासंयोग भी बन रहा है.
काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि इस बार गुरु पूर्णिमा के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है. इसके अलावा उत्तराषाढ नक्षत्र भोर से लेकर मध्य रात्रि 12 बजकर 14 मिनट तक रहेगा. साथ ही श्रवण नक्षत्र और प्रीति योग का भी निर्माण होगा. इसके अलावा विष्कंभ योग प्रात: से लेकर रात्रि 09 बजकर 11 मिनट तक रहेगा. इसके साथ ही जीवन में आने वाली समस्याएं भी दूर हो जाती है.
पूरे दिन रहेगा सर्वार्थ सिद्धि योग
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि वैदिक पंचांग के अनुसार,21 जुलाई रविवार के दिन सुबह 5 बजकर 37 मिनट से सर्वार्थ सिद्धि योग की शुरुआत होगी जो रात 12 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगा. ऐसे में पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बना रहेगा.
कब होगी पूर्णिमा की शुरुआत?
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि आषाढ़ पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 20 जुलाई को शाम 5 बजकर 9 मिनट से शुरू होगा जो अगले दिन 21 जुलाई को दोपहर बाद 3 बजकर 56 मिनट तक रहेगा. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार गुरु पूर्णिमा का 21 जुलाई को मनाया जाएगा .
माता पिता की करनी चाहिए पूजा?
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि इस दिन गंगा स्नान और दान का भी विशेष महत्व होता है. इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान के बाद अपने माता-पिता को गुरु मानकर उनका चरण स्पर्श करना चाहिए. इस दौरान उनके चरणों मे पुष्प भी चढ़ाना चाहिए. इससे भी जीवन के संकट दूर होते हैं. इसके अलावा इस दिन जरूरतमंद को दान देना भी लाभकारी होता है.
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FIRST PUBLISHED : July 17, 2024, 12:39 IST
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