Tuesday, December 17, 2024
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‘केदारनाथ मंदिर’ पर मचा है बवाल, हिमालय में कैसे प्रकट हुए थे बाबा केदार? जानें केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग की महिमा

भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से पांचवा केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग है, जो उत्तराखंड के केदारनाथ में स्थित है. चार धाम यात्रा में केदारनाथ धाम महत्वपूर्ण माना जाता है. इन दिनों केदारनाथ धाम से जुड़ा एक ​मंदिर चर्चा का विषय बन गया है. दरअसल दिल्ली के बुराड़ी में केदारनाथ धाम मंदिर का एक प्रतीकात्मक मंदिर बनाया जा रहा है, जिसका शिलान्यास उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने किया है. इसका विरोध केदारनाथ धाम के पंडे-पुरोहित और बद्रीनाथ धाम के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने भी किया है. सभी का कहना है कि केदारनाथ धाम के प्रतीकात्मक मंदिर का बनाना गलत है. विरोध करने वालों का कहना है कि केदारनाथ धाम की महिमा, अखंडता और पवित्रता से छेड़छाड़ नहीं किया जाना चाहिए. इस बीच हम आपको बताते हैं कि केदारनाथ धाम में केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति कैसे हुई? केदारनाथ धाम का महत्व क्या है?

केदारनाथ में कैसे हुई केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति?

शिव पुराण की कोटीरुद्र संहिता के अनुसार, भगवान विष्णु के अवतार नर और नारायण बद्रिकाश्रम में तपस्या करते थे. तब भगवान शिव उन दोनों भक्तों की इच्छा को पूर्ण करने के लिए पार्थिव लिंग स्वरूप में उनके पूजन को ग्रहण करने के लिए वहां आते थे. इस प्रकार से भगवन शिव की पूजा करते हुए नर और नारायण का काफी समय व्यतीत हो गया. शिव जी के प्रति उनकी भक्ति और प्रबल होती गई और वे तपस्या करते रहे.

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उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर एक दिन भगवान शिव प्रकट हुए और बोले- हे नर और नारायण! मैं तुम्हारी तपस्या से बहुत प्रसन्न हूं. तुम मुझसे वर मांगो. भगवान शिव के इस वचन से नर और नारायण अत्यंत प्रसन्न हुए. उन्होंने भगवान शिव को प्रणाम किया और कहा- हे देव! आप हमारी तपस्या से प्रसन्न हैं तो आप सदा के लिए साक्षात् रूप में यहां पर विराजमान रहें.

अपने दोनों भक्तों के अनुरोध पर भगवान महादेव हिमालय के केदार नामक उस तीर्थ स्थान में ज्योतिर्लिंग रुप में स्थित हो गए. वह ज्योतिर्लिंग पूरे संसार में केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध हो गया.

केदारनाथ धाम का महत्व
शिव पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन करता है, उसके सभी दुखों और कष्टों का अंत हो जाता है. इसके साथ ही उसकी विशेष मनोकामना भी पूरी हो जाती है, जिसकी वजह से वह वहां जाता है.

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कहा जाता है कि जो शिव भक्त ज्योतिर्लिंग के निकट शिव के रूप में अंकित वलय पर कंकड़ या कड़ा चढ़ाता है, उसे उनके वलय स्वरूप का दर्शन होता है. उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं. जो व्यक्ति केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करके उसका पूजन करता है और वहां का जल पीता है, वह जीवन और मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है. यही केदारनाथ धाम की महिमा है.

Tags: Dharma Aastha, Kedarnath Dham, Kedarnath Temple, Lord Shiva


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