Monday, November 18, 2024
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Measles Disease :क्या है मीज़ल्ज़ के 10 लक्षण, कारण और बचाव ?

Measles Disease : खसरा की बीमारी ज्यादातर छोटे बच्चों में होती है और इसके प्रमुख लक्षण होते हैं खांसी और बुखार आना. यह खांसी और बुखार लंग इन्फेक्शन में कब परिवर्तित हो जाता है,पता नहीं चलता. यह बीमारी जानलेवा भी हो सकती है.खसरा एक संक्रामक बीमारी होती है. चलिए जानते हैं इस खतरनाक बीमारी के लक्षण और किन तरीकों से किया जा सकता है इस बीमारी से बचाव.

Measles Disease : खसरा के लक्षण

खसरा एक संक्रामक बीमारी है जिसके कारण बुखार लाल दाने खांसी और आंखों से पानी आने जैसे लक्षण देखने मिलते हैं. यह बीमारी पीड़ित व्यक्ति के खांसने और छींकने से स्वस्थ व्यक्ति में भी संक्रमित हो सकती है.जब से खसरे के लिए वैक्सीनेशन की सुविधा आ गई है तब से इसका प्रकोप काफी कम हो गया है, लेकिन पिछ्ले कुछ समय से यह बीमारी दोबारा से परवान चढ़ रही है. WHO की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2023 में दुनिया भर में खसरे के 88 फ़ीसदी केसेस में बढ़ोतरी हुई है, साल 2022 में खसरा के 1.71 लाख किस रिकॉर्ड किए गए हैंऔर 2023 में संख्या 3.21 लाख तक बढ़ गई थी. खसरे से पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आने के 10 दिन बाद इस भयानक बीमारी के लक्षण दिखने लगते हैं, इसके कुछ प्रमुख लक्षण हैं :

  • तेज बुखार
  • थकान
  • सूखी खांसी
  • लाल आंखें
  • बहती हुई नाक
  • बदन पर लाल धब्बेदार दाने
  • गले में खराश
  • मुंह में सफेद धब्बे
  • मांसपेशियों में दर्द होना
  • रोशनी के प्रति संवेदनशीलता

Measles Disease : खसरा के कारण

खसरा मोर्बिलीवायरस (Morbillivirus) के कारण होता है या हवा से फैलने वाली बीमारी है यह बीमारी व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमित होती है और किसी जानवर द्वारा नहीं होती है.यह वायरस हवा में 2 घंटे तक मौजूद रहता है और संक्रमण फैल सकता है. इस बीमारी के फैलने के प्रमुख कारण है :

  • किसी पीड़ित के साथउसका झूठा भोजन या पानी पीने से
  • किसी पीड़ित व्यक्ति को चूमने से
  • वायरस के संक्रमण वाले हाथों से मुंह या नाक, आंख को छूने से
  • पीड़ित व्यक्ति से हाथ मिलाने से, हाथ पकड़ने से या गले लगाने से

Measles Disease : खसरा से बचाव

  • खसरे से बचाव का सबसे अच्छा उपाय है टीकाकरण खसरे से बचाव के लिए दोप्रकार केतक होते हैं मीजल्स, मम्स और रूबेला (MMR) का टीका .
  • खतरे का टीकाकारण कार्यक्रम में नियमित रूप से बच्चे को लगवाना चाहिए, अगर बचपन में टिका नहीं लगवाया है तो बाद में भी इसे लगवाया जा सकता है .
  • इसके अलावा अपने आसपास साफ सफाई रखने सेऔरसंक्रमित लोगों से दूरी बनाने से इस खतरनाक बीमारी के संक्रमण को रोका जा सकता है.
  • संक्रमण होने के बाद इसके प्राथमिक लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सीय परामर्श और इलाज करना बहुत आवश्यक होता है.


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