जमशेदपुर: संताली फिल्म ‘आंगेन’ को 14वें बेंग्लुरु इंटरनेशनल शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल में एंट्री मिली है, जो 8 से 15 अगस्त तक बेंगलुरु में आयोजित होने जा रहा है. यह पहला मौका है जब किसी संताली फिल्म को बेंग्लुरु अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में भी एंट्री मिली है. ‘आंगेन’ 12 मिनट की लघु फिल्म है जिसकी शूटिंग जमशेदपुर से सटे आदिवासी गांवों में की गई है. फिल्म के निर्माता-निर्देशक रविराज मुर्मू हैं.फिल्म की धुन साहित्यकार, गीतकार और लोकगायक दुर्गाप्रसाद मुर्मू ने तैयार की है. नुनाराम ने फिल्म में संगीत दिया है और फिल्म के संगीत निर्देशक निशांत राम टेके हैं. इसी वर्ष संताली फिल्म आंगेन को 18वें मुंबई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भी इंट्री मिली थी. जिसका पब्लिक स्क्रीनिंग 16 जून को किया था. इस फिल्म को आयोजक व निर्माता-निर्देशकाें ने काफी सराहा था.
जमशेदपुर से सटे आदिवासी बहुल गांव में हुई फिल्म की शूटिंग
फिल्म ‘आंगेन’ की कहानी एक संताली लोककथा पर आधारित है. निर्माता-निर्देशक रविराज मुर्मू ने बताया कि इस फिल्म की शूटिंग जमशेदपुर के नजदीकी आदिवासी बहुल इलाकों जैसे करनडीह, तुरामडीह, छोलागोड़ा और किनुटोला में की गई है. इस फिल्म में रामचंद्र मार्डी, सलोनी, जीतराय और फूलमनी ने बेहतरीन अभिनय किया है. कलाकारों ने अपनी कला क्षमता को फिल्म ‘आंगेन’ में उढेलकर कहानी को जीवंत बना दिया है, जिससे दर्शकों को लोककथा की वास्तविकता और गहराई का एहसास होता है.
फिल्म में सांस्कृतिक विरासत की झलक
रविराज मुर्मू ने कहा कि दूरदराज के गांवों में कई लोककथाएं हैं जिनमें आदिवासी समुदाय के अनुभव और संघर्ष का सार छिपा है. ये लोककथाएं सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक गहराई को प्रकट करती हैं. वे सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सामूहिक यात्रा की जटिलताओं को भी दर्शाती हैं. फिल्म ‘आंगेन’ संताली लोककथा के माध्यम से एक आकर्षक और रहस्यमयी कहानी को प्रस्तुत करती है जो दर्शकों को आदिवासी जीवन की झलक और उनकी सांस्कृतिक धरोहर से परिचित कराती है.
धरती और देव लोक की कहानी है ‘आंगेन’
फिल्म ‘आंगेन’ एक संताली लोककथा पर आधारित है, जिसमें धरती और देव लोक की कहानी को बखूबी दर्शाया गया है. इस कथा की शुरुआत धरती पर रहने वाले एक साधारण चरवाहे से होती है, जो अपने जीवन में खुश और संतुष्ट है. एक दिन, देव लोक की एक अत्यंत खूबसूरत महिला उसे देखती है और तुरंत उससे प्रेम करने लगती है. अपने प्रेम को पाने के लिए, वह महिला अपनी दिव्य शक्तियों का उपयोग करती है और चरवाहे को सम्मोहित कर देती है. सम्मोहन की इस जादुई स्थिति में, वह चरवाहे को देव लोक में ले जाती है. देव लोक का वातावरण बेहद सुंदर और आकर्षक है, लेकिन चरवाहे को धीरे-धीरे यह एहसास होता है कि वह अपने घर, धरती, से बहुत दूर है. जैसे ही चरवाहा सम्मोहन की स्थिति से बाहर आता है, उसे पता चलता है कि वह देवी के प्रेम में पड़कर उनके लोक में आ गया है. उसे अपने प्रियजनों और धरती की याद सताने लगती है. हालांकि देव लोक का आकर्षण अद्वितीय है, फिर भी चरवाहे का मन धरती पर लौटने के लिए बेचैन हो उठता है. आखिरकार, देवी चरवाहे की इस बेचैनी को समझती है और उसे वापस धरती पर लौटने की अनुमति देती है. फिल्म ‘आंगेन’ में यह कहानी बेहद संवेदनशीलता और गहराई से प्रस्तुत की गई है, जो दर्शकों को लोककथाओं की वास्तविकता और उनके गहरे अर्थों से परिचित कराती है.