Sunday, October 20, 2024
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Devshayani Ekadashi Vrat 2024: देवशयनी एकादशी का व्रत कब 16 या 17 जुलाई? जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पारण टाइमिंग

Devshayani Ekadashi Vrat 2024: एकादशी तिथि का व्रत प्रत्येक महीने में 2 बार पड़ता है. पहला शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष में. सभी एकादशी तिथि अपना अलग अलग नाम और महत्व है. आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देशवयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. देवशयनी एकादशी का व्रत 17 जुलाई को है. वहीं कुछ जगहों पर हरिशयनी, पद्मनाभा और योगनिद्रा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान विष्णु का शयनकाल प्रारंभ हो जाता है, इसीलिए इसे देवशयनी एकादशी कहते हैं. देवशयनी एकादशी के चार माह के बाद भगवान विष्णु देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं. देवउठनी एकादशी 12 नवंबर 2024 को है. देवउठनी एकादशी को उत्थाना एकादशी, प्रबोधिनी एकादशी, देवोत्थानी एकादशी, उत्थाना एकादशी और हरिबोधिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. यह कार्तिक माह की दूसरी एकादशी है. इसी दिन तुलसी विवाह है.

देवशयनी एकादशी व्रत तिथि कब है?

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 16 जुलाई 2024 की रात 8 बजकर 33 मिनट पर होगी. वहीं एकादशी तिथि का समापन 17 जुलाई की रात 9 बजकर 2 मिनट पर होगा. देवशयनी एकादशी का व्रत 17 जुलाई 2024 दिन बुधवार को रखा जाएगा. इस बार देवशयनी एकादशी के दिन शुभ योग, शुक्ल योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग के साथ अनुराधा नक्षत्र का दुर्लभ संयोग बन रहा है.

देवशयनी एकादशी व्रत 2024 का पारण का समय

एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना चाहिए. पंचांग के अनुसार देवशयनी एकादशी का पारण 18 जुलाई को किया जाएगा. देवशयनी एकादशी का पारण का सही समय 18 जुलाई को सुबह 5 बजकर 35 मिनट से सुबह 8 बजकर 20 मिनट के बीच रहेगा. क्योंकि 18 जुलाई को सुबह 8 बजकर 44 मिनट पर द्वादशी तिथि की समाप्ति होगी.

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देवशयनी एकादशी का महत्व

देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान श्री विष्णु विश्राम के लिए क्षीर सागर में चले जाते है. इस दिन से पूरे चार महीने तक योगनिद्रा में रहेंगे. भगवान श्री हरि के शयनकाल के इन चार महीनों को चातुर्मास के नाम से जाना जाता है. इन चार महीनों में श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक मास शामिल हैं. चातुर्मास के आरंभ होने के साथ ही अगले चार महीनों तक शादी-विवाह आदि सभी शुभ कार्य करना वर्जित हो जाता है. देवशयनी एकादशी का व्रत रखने और भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में खुशहाली और सुख-समृद्धि बनी रहती है.


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