शनि आठवें भाव का कारक होता है, जिससे आपको अपने अंदर छिपी हुई ऊर्जा का अहसास होता है.बुध को वाणी और संवाद का कारक माना जाता है, जो इस विद्या को समझता है.
How to become an astrologer: वैदिक ज्योतिष के अनुसार, किसी भी व्यक्ति के जन्म के साथ ही उसकी कुंडली में नवग्रह शुभ और अशुभ योग का निर्माण करते हैं. साथ ही इन योगों का फल उन ग्रहों की दशाओं में प्राप्त होता है, जिनसे उस खास योग का निर्माण होता है. आपकी जन्म कुंडली में बनने वाले कुछ ऐसे ही योग बताते हैं कि ज्योतिष क्षेत्र में आपका भविष्य कितना उज्वल है. यदि आप भी ज्योतिषी बनना चाहते हैं तो आपको कुछ बातों की जानकारी जरूरी है. इस लेख में हम ऐसे ही योग के बारे में जानेंने भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
1. बृहस्पति ग्रह नवम और दूसरे के कारक माने जाते हैं. इनके बलवान होने के साथ ही यदि जातक की रुचि धर्म में है और उसकी वाणी सिद्ध है तो वह ज्योतिषी बन सकता है.
2. शनि आठवें भाव का कारक होता है, जिससे आपको अपने अंदर छिपी हुई ऊर्जा का अहसास होता है. इसे आप अपनी साधना से प्राप्त कर सकते हैं.
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3. बुध को वाणी और संवाद का कारक माना जाता है, जो इस विद्या को समझता है. ऐसे में आपकी कुंडली में बुध का बलवान होना जरूरी है. यह आपको एक अच्छा ज्योतिषी बना सकता है.
4. चंद्रमा को मन का कारक माना गया है. ऐसे में यदि आपकी कुंडली में चंद्रमा बलवान है औरह शुभ ग्रह के साथ है तो व्यक्ति की सोचने-समझने की ताकत को बढ़ती है.
5. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब तक आपकी कुंडली में केतु बलवान नहीं होता, आपको भविष्य का आभास नहीं होगा. बलवान केतु जातक को मंत्र सिद्धि प्रदान करता है.
ऐसी कुंडली वाले बन सकते हैं अच्छे ज्योतिषी
1. जब किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में गुरु ग्रह वाणी भाव के स्वामी होकर पंचम में भाग्येश शुक्र के साथ विराजमान हुए और बचपन से धर्म के प्रति रुचि रखी गई है तो वह आगे जाकर ज्योतिषि बन सकते है.
2. बुध आठवें भाव के स्वामी होकर केतु के साथ विराजमान हुए और विपरीत राजयोग का निर्माण किया तो यह योग ज्योतिष विद्या को समझने में मददगार साबित होता है.
3. ऐसा देखा गया है कि जब कुंभ लग्न की कुण्डली में जातक का चन्द्रमा उच्च का होकर मां के घर में बैठा तो जातक को ज्योतिष विद्या जल्दी समझ आ सकता है.
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4. जब कुंडली में शनि से आठवां भाव प्रभावित रहा और उसी भाव का स्वामी केतु के साथ गया तो जातक की रुचि तंत्र-मंत्र और रहस्य में हुई, वह एक अच्छा ज्योतिषी बन सकता है.
5. जब गुरु वाणी भाव के स्वामी होकर पंचम में भाग्येश शुक्र के साथ विराजमान होते हैं तो ऐसे जातक बचपन से ही धर्म-कर्म में रुचि रखने वाले और भविष्य में अच्छे ज्योतिष बन सकते हैं.
Tags: Astrology, Dharma Aastha, Religion
FIRST PUBLISHED : July 10, 2024, 06:47 IST