मंगल और शनि को इंजीनियरिंग और तकनीकी क्षेत्र से जोड़कर देखा जाता है. ये दोनों ग्रह इंजीनियरिंग और तकनीक के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
Career In Engineering : आज के युग में लगभग कार्यों के लिए मशीनरी की जरूरत होती है. वर्तमान ही नहीं, आने वाला कल भी शायद पूरी तरह से मशीनों पर निर्भर हो. लेकिन जो लोग मशीनों पर निर्भर रहकर कार्य करते हैं, वे यह भी जानते हैं कि मशीनें भी किसी पर निर्भर रहती हैं और वो हैं इंजीनियर. जब टेक्नोलॉजी अपनी अहम भूमिका निभा रही हो तो इंजीनियरिंग को एक अच्छे कल के रूप में देखा जाने लगा है. ऐसे में इंजीनिरिंग की शिक्षा लेन के बाद हजारों लोग लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करते नजर आते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक सफल इंजीनियर बनने के लिए भी कुंडली में कुछ खास योग बनते हैं. दरअसल ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हमारी कुंडली में बने ग्रह योग ही हमारी प्रतिभा और करियर के क्षेत्र को सुनिश्चित करते हैं. आइए इस बारे में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
मंगल और शनि
वैदिक ज्योतिष में मंगल और शनि को इंजीनियरिंग और तकनीकी क्षेत्र से जोड़कर देखा जाता है. यह तो सभी जानते हैं कि शनि को लौह से जुड़े पदार्थों, मशीनों, औजारों, उपकरणों, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि का प्रतिनिधि ग्रह माना जाता है. वहीं मंगल विद्युत का कारक है. ऐसे में देखा जाए तो ये दोनों ग्रह इंजीनियरिंग और तकनीक के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. वहीं यदि कुंडली में शनि और मंगल मजबूत ना हों तो इंजीनियरिंग के क्षेत्र में बाधा का काम करते हैं. इस स्थिति में व्यक्ति कितनी भी मेहनत कर ले, उसे सफलता नहीं मिलती.
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राशि का प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, वायु तत्व की राशियों (मिथुन, तुला, कुम्भ) का दशम भाव यदि लग्न और पंचम भाव में हो तो यह गहन अध्ययन वाले कार्यों में सफलता प्रदान करता है. इसी प्रकार कुंडली में बृहस्पति और पंचम भाव का बलि होना इंजीनियरिंग के क्षेत्र में सफलता को सुनिश्चत करते हैं.
इंजीनियर बनने के कुछ खास योग
-यदि कुंडली में शनि स्व उच्च राशि (मकर, कुम्भ, तुला) में होकर शुभ भाव में है तो यह आपको इंजीनियरिंग और तकनीकी क्षेत्र में सफलता दिलाने का काम करता है.
-दशम भाव में यदि मंगल की स्थिति बलवान है तो इंजीनियरिंग के क्षेत्र में खूब सफलता मिलती है. वहीं मंगल का स्व राशि मेष, वृश्चिक में हो तो इलेक्ट्रॉनिक्स, बिल्डिंग निर्माण क्षेत्रों में सफलता मिलती है.
-जन्मकुंडली में मंगल और शनि का दशम भाव आजीविका का स्थान माना जाता है. वहीं एकादश आय स्थान माना गया है. वहीं इन दोनों घरों में बुध और बृहस्पति ग्रहों की उपस्थिति के साथ शनि-मंगल का शुभ योग हो तो यह आपके लिए इंजीनियरिंग के क्षेत्र में बेहद शुभ फल देता है.
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-मंगल, शनि और बुध ग्रहों का संयुक्त रूप से बली होना कम्प्यूटर टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में खूब सफलता देता है.
-कुंडली में शुभ भावों में शनि और मंगल का योग हो तो यह योग जातक को इंजीनियरिंग और तकनीकी कार्यों में सफलता दिलाता है.
-यदि आपकी कुंडली में दशम स्थान का बलवान शनि है तो यह ग्रह आपको ना सिर्फ सफल इंजीनियर बना सकता है, बल्कि यह आपका विदेशों से धन अर्जित कराने की क्षमता भी रखता है.
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FIRST PUBLISHED : July 4, 2024, 14:37 IST