Monday, November 18, 2024
HomeWorldjapan में जबरन नसबंदी का शिकार हुए लोगों को मिलेगा मुआवजा

japan में जबरन नसबंदी का शिकार हुए लोगों को मिलेगा मुआवजा

जापान में नसबंदी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सरकार को उन पीड़ितों को उचित मुआवजा देने का आदेश दिया जिनकी अब निरस्त किए जा चुके ‘यूजेनिक्स प्रोटेक्शन लॉ’ के तहत जबरन नसबंदी की गयी थी. कानून शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के संतान न पैदा करने के लिए तैयार किया गया था.

कब लागू किया गया था कानून

अनुमान है कि पैदा होने वाली संतानों में किसी प्रकार की शारीरिक कमी को रोकने के लिए इस कानून को बनाया गया था. 1950 से 1970 के बीच इस कानून के तहत बिना सहमति के करीब 25,000 लोगों की नसबंदी करवा दी गई थी. वादी के वकीलों ने इसे जापान में युद्ध के बाद के युग में सबसे बड़ा मानवाधिकार उल्लंघन इसे बताया था.

फैसला 39 में से 11 वादियों के लिए

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 1948 का यह कानून असंवैधानिक था. फैसला 39 में से 11 वादियों के लिए था जिन्होंने अपने मामले की देश के सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कराने के लिए जापान की 5 निचली अदालतों में मुकदमे लड़े. अन्य वादियों के मुकदमे अभी लंबित ही हैं. इनमें से कई वादी का जीवन व्हीलचेयर पर बीत रहा है. उन्होंने फैसले के बाद कोर्ट का धन्यवाद व्यक्त किया.

साबुरो किता ने क्या कहा

जापान की राजधानी टोक्यो में 81 वर्षीय वादी साबुरो किता ने फैसला आने के बाद कहा कि अपनी खुशी मैं बयां नहीं कर सकता. उन्होंने बताया कि उनकी 1957 में 14 साल की उम्र में नसबंदी कर दी गयी थी. उस वक्त वह एक अनाथालय में रहते थे. उन्होंने कई साल पहले अपनी पत्नी की मौत से कुछ समय पहले ही यह बात सार्वजनिक की थी.

Read Also : Friendship Marriage : लव, सेक्स और धोखा से मुक्त यह नया रिश्ता युवाओं में पकड़ रहा है जोर

प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने मांगी माफी

प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने पीड़ितों से माफी मांगी है. उन्होंने कहा कि वे व्यक्तिगत रूप से माफी मांगने के लिए वादियों से मुलाकात करेंगे. किशिदा ने कहा कि सरकार नयी मुआवजा योजना पर विचार करेगी.


Home

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular