फ़िल्म – kalki 2898 ad
निर्माता- व्यजंती फिल्म्स
निर्देशक- नाग अश्विन
कलाकार- प्रभास ,अमिताभ बच्चन,दीपिका पादुकोण,दिशा पाटनी,विजय देवरकोंडा और अन्य
प्लेटफार्म- सिनेमाघर
रेटिंग- तीन
विदेशी कॉमिक्स की दुनिया सुपरहीरोज से भरी पड़ी है, लेकिन भारतीय जनमानस में सर्वश्रेष्ठता का प्रतिनिधित्व रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्य करते आये हैं. अक्सर उनसे जुड़े किरदारों को भारत का असली सुपरहीरो कहा जाता रहा है , जो किसी भी बैटमैन और स्पाइडरमैन से कम नहीं हैं और इस सोच को रुपहले परदे पर निर्देशक नाग आश्विन ने अपनी फिल्म कल्कि 2898 ad से साकार किया है. महाभारत से प्रेरित यह फिल्म अपने विजुवल इफेक्ट्स और प्रोडक्शन डिजाइन में डिटेलिंग के साथ हुए काम की वजह से हॉलीवुड की फिल्म का फील लिए हुए है. जिसके लिए इस फिल्म की पूरी टीम बधाई की पात्र है.फिल्म का विजन ,स्टारकास्ट और ट्रीटमेंट सबकुछ भव्य है,लेकिन लेखन सतही रह गया है. इस बात से इंकार नहीं है कि फिल्म की कहानी का पुराणों से जुड़ाव इसको मजबूती है,लेकिन स्क्रीनप्ले की अपनी समस्याएं हैं,जिस वजह से यह लार्जर देन लाइफ फिल्म मनोरंजन तो करती है,लेकिन मास्टरपीस नहीं कही जा सकती है.
विज्ञान और पुराण के मेल से रची गयी है यह दुनिया
फ़िल्म की कहानी की शुरुआत महाभारत के युद्ध से होती है ,जहां अश्वत्थामा (अमिताभ बच्चन)अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रही संतान को मारने की कोशिश करता है,जिसके बाद भगवान श्री कृष्ण उन्हें यह कहते हुए अभिशाप देते हैं कि मृत्यु तो मुक्ति है ,इसलिए तुम्हारी कभी मृत्यु नहीं होगी . तुम ऐसे ही धरती पर भटकते रहोगे.अश्वत्थामा द्वारा मुक्ति का मार्ग पूछे जाने पर श्रीकृष्ण कहते हैं कि तुम्हें गर्भ में पल रहे एक बच्चे को मारने की कोशिश के लिए यह अभिशाप मिला है.अब तुम्हें मुक्ति एक गर्भ में पल रहे बच्चे को बचाने के बाद मिलेगी. जो मेराआख़िरी अवतार होगा और कहानी ग्राफ़िक्स के ज़रिए छह हज़ार साल पार कर जाती है. कहानी काशी पहुंचती है. वहाँ दुनिया का आख़िरी शहर है काम्प्लेक्स ,जिसके अंदर सभी पहुंचना चाहते हैं क्योंकि वहां सभी सुख सुविधा है लेकिन वहां ग़रीबों की एंट्री नहीं है.वहां सुख सुविधा ही नहीं साइंस का एक परीक्षण भी चल रहा है.प्रोजेक्ट के की वजह से साइंस की मदद से महिलाओं की प्रेग्नेंट कर उन्हें मारकर गर्भ में पल रहे बच्चे को मारकर उससे निकला सीरम निकालकर सुप्रीमो यास्कीन ( कमल हासन)के शरीर में डाला जा रहा है. यह सब क्यों हो रहा है. इस पर रहस्य बनाकर रखा गया है , लेकिन इसी बीच वहाँ काम करने वाली सुमति (दीपिका पादुकोण) गर्भ में पल रहे अपने बच्चे की इस एक्सपेरिमेंट से बचाकर कुछ लोगों की मदद से वहां से भाग निकलती है,जो उसे लेकर विद्रोहियों की नगरी संबाला लेकर आते है. जिसे सुप्रीमो यास्कीन और उसके लोगों से छिपाकर रखा गया है.जिन्हें यक़ीन है कि पुराणों में लिखी बात सही साबित होगी और भगवान जन्म लेकर धरती पर सुप्रीमो और उसके लोगों द्वारा फैलाए गये अराजकता की ख़त्म कर देंगे,लेकिन यह आसान नहीं है .सुप्रीमो ही नहीं बल्कि बाउंटी हंटर बने भैरव ( प्रभास) भी अपने फ़ायदे के लिए सुमति की तलाश में है,क्योंकि सुमति को पकड़ने पर काम्प्लेक्स में उसकी एंट्री होगी.सुमति की रक्षा की ज़िम्मेदारी अश्वत्थामा पर है.किस तरह से सुमति की रक्षा होगी . किस तरह से भैरव का ह्रदय परिवर्तन होगा,इन सवालों के जवाब फिल्म का दूसरा भाग देगा.
फिल्म की खूबियां और खामियां
सुमति के गर्भ में पल रहा बच्चा भगवान का आखिरी अवतार है. उसे बचाने और मारने वाले किरदार क्या हैं और उनका क्या अतीत है. फिल्म के इस भाग में यह सेट कर दिया गया है ताकि कल्कि २ के लिए माहौल बनाया जा सके .कल्कि २ के लिए माहौल अच्छा बन गया है.फिल्म अपने लुक में हॉलीवुड फिल्मों की याद दिलाती है. फिल्म में आधुनिक हथियार, गैजेट से लेकर वाहन तक सभी पर बहुत डिटेलिंग के साथ काम किया गया है. जिसे देखते हुए आपको हॉलीवुड की कई मेगाबजट फिल्मों की याद आएगी. फिल्म लुक और ट्रीटमेंट में पूरे नम्बर लेती हैं,लेखन में वह प्रभाव परदे पर नहीं आ पाया है. फिल्म का फर्स्ट हाफ स्लो रह गया है. परदे पर इतना कुछ चल रहा होता है कि कई बार थोड़ी कन्फ्यूजन भी होती है.कई दृश्य जरुरत से ज्यादा लम्बे बन गए हैं. फिल्म की लम्बाई को एडिटिंग में छोटा किया जा सकता था. सेकेंड हाफ में कहानी रफ़्तार पकड़ती है और आखिर के 40 मिनट में आपका खूब मनोरंजन भी करती है. अमिताभ बच्चन और प्रभास के बीच के एक्शन दृश्य अच्छे बन पड़े हैं. फिल्म का गीत संगीत पक्ष कमजोर रह गया है.संवाद भी किरदारों को मजबूती नहीं देते हैं.
जानदार हैं बिग बी
अभिनय की बात करें तो इस फिल्म में सुपरस्टार्स का जमावड़ा है लेकिन इन सब में सबसे यादगार बिग बी रहे हैं. इस तरह के एक्शन अवतार में उन्हें देखना काफी दिलचस्प है. पर्दे पर उनके किरदार की ऊंचाई उनके अभिनय की ऊंचाई को भी दर्शा गया है. प्रभास औसत हैं.एक्शन में जमें हैं,लेकिन कॉमेडी में वह चूक गए हैं. इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि सूर्य पुत्र कर्ण के रूप में उनको दर्शाना फिल्म के दूसरे भाग के देखने की उत्सुकता को बढ़ा गया है.दीपिका पादुकोण ने अपने किरदार को सधे ढंग से निभाया है. उनके किरदार में ऐसा कुछ खास अब तक नहीं दिखा है ,जिसे सिर्फ दीपिका जैसी प्रतिभाशाली अभिनेत्री ही ही कर सकती थी. रॉक्सी की भूमिका में दिखी दिशा पाटनी को फिल्म में करने के लिए कुछ खास नहीं था.कमल हासन का किरदार फिल्म में पूरी तरह से प्रॉस्थेटिक मेकअप में ही नजर आया है. फिल्म के आखिरी सीन में वह कमल हासन के तौर पर दिखें हैं.उनका किरदार आखिरी दृश्य में कहता है कि वह अब खुद से सुमति को ढूंढेंगे. यह संवाद इस बात को स्थापित करता है कि फिल्म के दूसरे भाग में उनकी मौजूदगी कितनी अहम् होनेवाली है. वैसे पहले भाग में उनके किरदार से जुड़ा रहस्य हो या दशहत दोनों को बखूबी बरकरार रखा गया है. शाश्वत चट्टर्जी अपनी भूमिका के साथ न्याय करते हैं. फिल्म में विजय देवरकोंडा ,दलकीर सलमान , राजामौली, मृणाल ठाकुर , रामगोपाल वर्मा और ब्रह्मानंद जैसे बड़े नाम भी नजर आये हैं,जो फिल्म में एक अलग ही रंग भरते हैं.