Old Pension Scheme: आए दिन समाचारों में पेंशन स्कीम का जिक्र सुनने को मिल ही जाता है. पुरानी पेशन योजना (OPS) और नई पेंशन स्कीम (NPS) के पर डिबेट आज भी जारी है. राजनीतिक पार्टियां और श्रमिक संगठन आज भी पुरानी पेंशन योजना को दोबारा बहाल कर नई पेंशन स्कीम को समाप्त करने की मांग उठा रहे हैं. सरकार NPS को इकोनॉमी के लिए ज्यादा अच्छा बताते हैं. चलिए समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर पुरानी पेंशन योजना से कर्मचारियों को कितना फायदा मिलता है और यह नई पेंशन योजना से कितनी अलग है .
क्या थी Old Pension Scheme?
पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारियों को एक निश्चित फॉर्मूले के आधार पर पेंशन की एक निश्चित राशि मिलती है, जिससे सेवानिवृत्ति के बाद एक स्थिर आय सुनिश्चित होती है. सेवानिवृत्त होने पर इस राशि का आधा हिस्सा, ग्रेच्युटी, महंगाई भत्ता और महंगाई राहत में नियमित समायोजन जैसे अतिरिक्त लाभ कर्मचारियों को दिए जाते थे. सरकार कर्मचारी के वेतन से किसी भी कटौती के बिना पूरी पेंशन राशि को कवर करती थी.
Old Pension Scheme और नई पेंशन स्कीम में अंतर
नई पेंशन योजना में कर्मचारी के वेतन का 10 प्रतिशत पेंशन योगदान के लिए काटा जाता है, जिसमें सरकार द्वारा अतिरिक्त 14 प्रतिशत का योगदान दिया जाता है. पुरानी योजना के विपरीत नई योजना में कोई ग्रेच्युटी शामिल नहीं है. अंतिम पेंशन राशि पूर्व निर्धारित नहीं है, क्योंकि यह बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर है. कर्मचारियों के वेतन से काटे गए पैसे को PFRDA द्वारा निवेश किया जाता है, जिसका एक हिस्सा निकासी (25-40 प्रतिशत) के लिए उपलब्ध होता है और शेष राशि वार्षिकी के रूप में रखी जाती है. इसके अतिरिक्त, नई योजना सामान्य भविष्य निधि सुविधा प्रदान नहीं करती है जो पुरानी योजना के तहत उपलब्ध थी.
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राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) की शुरुआत 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने की थी. 2004 से पहले नौकरी करने वाले लोगों को पिछली योजना का लाभ मिलना जारी है. वाजपेयी सरकार के दौरान शुरू की गई पुरानी पेंशन योजना को वास्तव में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान लागू किया गया था.
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