Saturday, October 19, 2024
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सबसे लंबे दिन के बाद 22 जून को सूर्य बदलेंगे चाल, फिर शुरू होंगी ‘काल देवों की रात’! जानें इसका प्रभाव

उज्जैन. काल और समय की गणना के लिए उज्जैन का विश्व भर में विशेष स्थान माना गया है. वहीं, ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन प्रकृति में बड़ा परिर्वतन शुरू होता है. इस बार पूर्णिमा 22 जून को है. इस दिन दो विशेष योग हैं. शुक्ल और ब्रह्म योग, इस योग में सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन होंगे. यानी, 22 जून से दिन छोटे और रात लंबी होने लगेंगी. सूर्य के दक्षिणायन होने से मौसम में परिवर्तन शुरू हो जाएगा. ज्येष्ठ पूर्णिमा को ही सूर्य और चंद्रमा एक दम आमने-सामने होंगे.

ज्योतिषाचार्य रवि शुक्ला ने Local 18 को बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी दिन से वैवस्वत मन्वंतर की शुरुआत हुई थी. वर्तमान में यही मन्वंतर चल रहा है. इसमें भगवान विष्णु राम, कृष्ण और बुद्ध के रूप में प्रकट हुए हैं. ज्येष्ठ पूर्णिमा की खासियत है कि इस दिन भगवान जगन्नाथ सहस्रधारा स्नान करेंगे. इसके बाद 15 दिन तक उनकी ज्वर लीला चलेगी. यहीं से मौसम में परिवर्तन शुरू हो जाता है.

क्या होता है दक्षिणायन
दक्षिणायन, वह प्रकृति का वह चरण है जो जून में शुरू होता है. सूर्य दक्षिण दिशा में कर्क रेखा से मकर रेखा की ओर जाता है. यह चरण 21 या 22 जून के आसपास शुरू होता है और 22 दिसंबर तक चलता है. इस चरण को  “काल देवों की रात” की अवधि के रूप में उद्धृत किया जाता है. यह नकारात्मकता से जुड़ा होता है, अर्थात वर्ष के इस चरण में शुभ गतिविधियों को हतोत्साहित किया जाता है. इसमें सर्दी, शरद ऋतु और मानसून शामिल है.

कितने समय के लिए होगा दिन बड़ा
उज्जैन की जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ. आरपी गुप्ता ने बताया कि 21 जून को सूर्य अपने अधिकतम उत्तरी बिंदु कर्क रेखा पर होने के कारण उत्तरी गोलार्ध में दिन सबसे बड़ा तथा रात्रि सबसे छोटी होती है. 21 जून को उज्जैन में सूर्योदय प्रातः 5:42 पर तथा सूर्यास्त सांय 7:16 बजे पर होगा. इस प्रकार दिन 13 घंटे 34 मिनट तथा रात्रि 10 घंटे 26 मिनट की होगी. 21 जून के बाद सूर्य की गति दक्षिण की ओर दृष्टिगोचर होगी, इसे दक्षिणायन का प्रारंभ कहते हैं. 21 जून के बाद उत्तरी गोलार्ध में दिन धीरे-धीरे छोटे होने लगेंगे तथा 23 सितंबर को दिन-रात बराबर होंगे.

महाकाल मंदिर से हटेगी गलंतिका
वैशाख कृष्ण प्रतिपदा 24 अप्रैल से गलंतिका बांधी गई थी. अर्थात, मिट्टी से निर्मित मटकियों से भगवान के शीश पर सतत शीतल जलधारा प्रवाहित की गई. ज्योतिर्लिंग की परंपरा अनुसार वैशाख कृष्ण प्रतिपदा से ज्येष्ठ पूर्णिमा तक दो माह प्रतिदिन सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक गलंतिका बांधी जाती है और यह 22 जून को हटेगी.

Tags: Astrology, Dharma Aastha, Local18, Ujjain news

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.


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