Wednesday, November 20, 2024
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Ganesh Aarti: क्या आप जानते है गणेश जी की आरती पढ़ने का अर्थ, कहीं अनजानें में आप भी तो नहीं कर रहे ये गलतियां

Ganesh Aarti: गणेश जी प्रथम पूज्य देव है. गणेश जी को गणपति या विघ्नहर्ता कहा जाता है. हिंदू धर्म में अत्यंत पूजनीय देवता हैं. वे भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं और हाथी के सिर वाले होते हैं, जो ज्ञान, विवेक और बुद्धिमत्ता का प्रतीक है. गणेश जी सभी बाधाओं को दूर करते हैं और शुभ कार्यों की शुरुआत में उनकी पूजा अनिवार्य मानी जाती है. वे बुद्धि, ज्ञान, और समृद्धि के देवता हैं, और उनकी पूजा से घर में सुख-शांति आती है. गणेश उत्सव और गणेश चतुर्थी जैसे त्योहार विशेष रूप से उनकी महिमा का गुणगान करते हैं. धार्मिक अनुष्ठानों में गणेश जी का आशीर्वाद सफलता का प्रतीक है.

गणेश जी की आरती का मतलब

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा. माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
गणेश जी की जय हो, माता पार्वती और पिता शिवजी की संतान की जय हो.

एकदंत दयावंत, चार भुजाधारी. माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
एक दांत वाले, दयालु, चार भुजाओं वाले गणेश जी के माथे पर सिंदूर सुशोभित होता है और वे मूषक पर सवारी करते हैं.

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया. बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
गणेश जी अंधों को दृष्टि प्रदान करते हैं, कोढ़ियों को स्वस्थ शरीर देते हैं, निःसंतान महिलाओं को संतान सुख देते हैं और निर्धनों को धन देते हैं.

हार चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा. लड्डुओं का भोग लगे, संत करें सेवा॥
गणेश जी को हार, फूल और मेवा चढ़ाए जाते हैं. लड्डुओं का भोग लगता है और संतजन उनकी सेवा करते हैं.

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतवारी. कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥
हे शंभु के पुत्र, दीन-हीन की लाज रखो. हमारी सभी इच्छाएं पूर्ण करो, हम आपके बलिहारी जाते हैं.

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गणेश जी की आरती करते समय इन बातों का रखें ख्याल

भगवान गणेश जी की इस आरती में गणेश जी के विभिन्न रूपों, गुणों और उनकी कृपा का गुणगान किया जाता है, जो भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है. गणेश जी की आरती करने के लिए आपको एक थाली की आवश्यकता होगी, जिस पर जलता हुआ दीपक या कपूर हो. आप भगवान गणेश को फूल, धूप और मिठाई भी चढ़ा कर आरती शुरू करने के लिए भगवान गणेश की मूर्ति के सामने खड़े हो जाएं और अपने हाथ से थाली पकड़कर आरती करें.


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