Friday, November 22, 2024
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Sitamarhi: देवी सीता की जन्म भूमि में देश-विदेश से आते हैं धार्मिक पर्यटक

Sitamarhi: बिहार के प्रत्येक जिले में कोई ना कोई धार्मिक स्थल जरूर हैं, लेकिन उन सब में खास और प्रसिद्ध जिला है सीतामढ़ी जो देवी सीता के लिए जाना जाता है। दरअसल ये उनकी जन्मभूमि है। इस शहर की सीमा की बात करें तो उत्तर में नेपाल, दक्षिण में मुजफ्फरपुर, पश्चिम में चंपारण और पूर्व में दरभंगा से सटी है। सीतामढ़ी भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है।

यहां स्थित जानकी मंदिर में माँ सीता के दर्शन के लिए भारत के ही नहीं बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं। अगर आप भी अपनी छुट्टियों में परिवार सहित बिहार के धार्मिक स्थलों का दर्शन करना चाहते हैं तो आपको सीतामढ़ी जरूर जाना चाहिए। बता दें कि सीतामढ़ी बिहार की राजधानी पटना से 135 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ तक पहुंचने के लिए लगभग प्रत्येक जिलों से ट्रेन एवं बस दोनों उपलब्ध है। इस स्टोरी में हम आपको बता रहे हैं इस शहर के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों के बारे में…

हलेश्वर स्थान

सीतामढ़ी के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है हलेश्वर स्थान जो भगवान शिव को समर्पित है। स्थानीय लोगों द्वारा ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण मिथिला के राजा और देवी सीता के पिता जनक ने करवाया था। बता दें कि 1942 के भूकंप में इस मंदिर के अधिकांश हिस्से क्षतिग्रस्त हो गए थे जिसे उस समय के तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा ठीक कराया गया था। जो श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं वे पुनौरा धाम या बागमती से जल लाकर इस मंदिर के गर्भ गृह में स्थित शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। यहां श्रद्धालुओं के ठहरने की भी उत्तम व्यवस्था है।

माँ जानकी मंदिर

शहर के बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर स्थित जानकी मंदिर बिहार के प्राचीन मंदिरों में से एक है। ऐसी मान्यता है कि ये मंदिर 100 साल से अधिक पुराना है। मान्यताओं के मुताबिक माँ सीता का यहीं पर जन्म हुआ था। स्थानीय लोगों द्वारा और प्रशासन की सहायता से त्योहारों के समय यहां मेले का भी आयोजन किया जाता है। नवरात्रि के समय दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने आते हैं।

पंथ पाकड़

सीतामढ़ी से करीब 8 किलोमीटर दूर पंथ पाकड़ स्थित है। जब भगवान राम विवाह के पश्चात देवी सीता को अयोध्या लेकर जा रहे थे तब इसी स्थान पर उन्होंने कुछ देर आराम किया था। लोगों का ऐसा कहना है कि सीता ने रात्रि विश्राम के बाद पाकड़ के दातून करने के बाद यहां फेंक दिया था, जिससे यहां एक विशाल वृक्ष का जन्म हुआ। आज यहां उस पाकड़ वृक्ष के साथ-साथ अन्य वृक्षों ने भी जन्म ले लिया है।


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