BSE Clarification: मतगणना वाले दिन निवेशकों को एनएवी आवंटन में हुई देरी पर शुक्रवार को बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) ने सफाई दी है. देश के प्रमुख शेयर बाजार बीएसई ने अपनी सफाई में कहा है कि एनएवी आवंटन में म्यूचुअल फंड सिस्टम में किसी प्रकार की तकनीक गड़बड़ी नहीं हुई थी, बल्कि बैंकों से भुगतान प्राप्त करने में देरी के कारण चार जून को म्यूचुअल फंड खरीदने वाले निवेशकों को एनएवी आवंटित करने में देरी हुई थी.
निवेशकों को बड़े पैमाने पर हुआ नुकसान
मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, कई निवेशकों ने सोशल मीडिया पर शिकायत की थी कि मतगणना वाले दिन 4 जून 2024 को उन्हें अपनी ‘पोजिशन’ को ‘स्क्वेयर ऑफ’ करने में परेशानी का सामना करना पड़ा था. कई निवेशकों ने कट-ऑफ समय से पहले अपने म्यूचुअल फंड खरीदे थे, लेकिन उन्हें जो शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी) सौंपा गया. वह चार जून के बजाय पांच जून के लिए फंड का मूल्य निर्धारित करता है. इसकी वजह से ऐसे निवेशकों को बड़े पैमाने पर वित्तीय नुकसान का सामना करना पड़ा.
बीएसई क्लियरिंग हाउस में कोई तकनीकी गड़बड़ी नहीं
निवेशकों की शिकायत पर बीएसई की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि यह स्पष्ट किया जाता है कि 4 जून को बीएसई क्लियरिंग हाउस (आईसीसीएल) में कोई तकनीकी गड़बड़ी नहीं हुई थी. पहली नजर में यही लगता है कि कुछ ग्राहकों के लिए भुगतान एग्रीगेटर, बैंक से क्रेडिट या भुगतान का ब्योरा पाने में देरी हुई, जिससे एनएवी आवंटन में देरी हुई. कई ब्रोकिंग फर्मों ने 4 जून को बीएसई के म्यूचुअल फंड आवंटन प्रणाली में गड़बड़ी का आरोप लगाया था. इस कारण ऑर्डर अगले दिन पांच जून को जारी हुए, लेकिन उस समय तक इक्विटी बाजारों ने अपने नुकसान की कुछ हद तक भरपाई कर ली थी.
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मतगणना के दिन धराशायी हो गया था शेयर बाजार
लोकसभा चुनाव के नतीजों के दिन चार जून को शेयर बाजार भारी गिरावट के साथ धराशायी हो गया था, जिससे निवेशकों की 31 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति डूब गई. भाजपा को अपने दम पर स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने से सेंसेक्स 4,390 अंक यानी 6 फीसदी की गिरावट के साथ 72,079 अंक पर बंद हुआ था. यह चार साल में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट थी.
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