ज्येष्ठ माह में पंचक आज 29 मई बुधवार से लग रहा है. पंचक को अशुभ माना जाता है और इसमें कई मांगलिक कार्य नहीं करते हैं. पंचक के अशुभ प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर न पड़े, इससे बचने के लिए कोई भी शुभ कार्य नहीं करते हैं. पंचक पांच दिनों तक होता है. हालांकि कौन सा पंचक शुभ या अशुभ है, इसका पता लगाने के लिए देखते हैं कि वह किस दिन से शुरू हुआ है. इस बार पंचक में दो दिन भद्रा का साया है. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं कि पंचक कब से कब तक है? बुधवार से लगा पंचक शुभ है या अशुभ है? पंचक में क्या नहीं करना चाहिए?
29 मई से पंचक का प्रारंभ
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि यानी 29 मई को पंचक रात 08 बजकर 06 मिनट से लग रहा है. जो 30 मई को सुबह 05:24 ए एम तक है. उसके बाद यह पंचक 30 मई, 31 मई, 1 जून को पूरे दिन रहेगा.
पंचक में 2 दिन भद्रा का साया
पंचक के पहले दिन यानी 29 मई को भद्रा दोपहर 01:39 पी एम से 30 मई को 12:43 ए एम तक रहेगी. धरती पर भद्रा का वास रात 08:06 पी एम से होगा. भद्रा के समय में भी शुभ कार्य नहीं करते हैं. इसके बाद 1 जून को भद्रा शाम 06:15 पी एम से 2 जून को 05:04 ए एम तक रहेगी.
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पंचक का समापन कब होगा?
इस पंचक का समापन ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी तिथि यानी 2 जून रविवार के दिन होगा. उस दिन पंचक सुबह 05:23 ए एम से देर रात 01:40 ए एम तक रहेगा.
कब लगता है पंचक?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब चंद्रमा शतभिषा, धनिष्ठा, रेवती, पूर्व भाद्रपद या उत्तरा भाद्रपद में से किसी एक नक्षत्र में प्रवेश करते हैं तो पंचक लग जाता है. यह पंचक 5 दिन तक रहता है.
बुधवार से प्रारंभ हुआ पंचक होता है शुभ
यदि पंचक का प्रारंभ बुधवार या गुरुवार को होता है तो वह अशुभ नहीं होता है, बल्कि शुभ फलदायी माना जाता है. इसमें मांगलिक कार्यों को करने की मनाही नहीं होती है. यदि पंचक रविवार, शुक्रवार, शनिवार या मंगलवार को प्रारंभ होता है तो वह अशुभ फल देने वाला होता है. वहीं सोमवार से शुरू होने वाला पंचक राज पंचक होता है. रविवार के पंचक को रोग पंचक, मंगलवार के पंचक को अग्नि पंचक, शनिवार के पंचक को मृत्यु पंचक, शुक्रवार के पंचक को चोर पंचक कहते हैं.
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पंचक में क्या न करें?
1. पंचक के समय में मुंडन, विवाह, सगाई, गृह प्रवेश आदि जैसे शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है.
2. पंचक में दक्षिण दिशा की यात्रा वर्जित है.
3. इस समय में शव जलाने की मनाही है. गरुण पुराण में बताई गई विधि के अनुसार दाह संस्कार करना चाहिए.
4. पंचक में लकड़ी न खरीदें और न ही इकट्ठा करें.
5. मकान की छत डलवाना वर्जित है.
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FIRST PUBLISHED : May 29, 2024, 09:46 IST