Saturday, November 23, 2024
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jamshedpur news संताली व क्षेत्रीय सिनेमा जगत ने एक और सितारा को खो दिया, कैंसर से लड़ते-लड़ते जीवन की जंग हार गये सोनोत सानो मुर्मू

जमशेदपुर:संताली सिनेमा का एक और सितारा कहीं खो गया. प्रथम फूललेंथ की संताली फिल्म चांदो लिखोन के लेखक, गीतकार व गायक सोनोत सानो मुर्मू(55 वर्ष)का शुक्रवार की देर रात को निधन हो गया है. सोनोत सानो मुर्मू लंबे समय से कैंसर की बीमारी से लड़ रहे थे. आखिरकर वे कैंसर बीमारी से जीवन की जंग को जीत नहीं पाये और इस दुनिया से विदा हो गये. संताली समेत क्षेत्रीय भाषा की फिल्म इंडस्ट्री में शाेक की लहर दौड़ गयी है. उनकी निधन की समाचार पूरा झॉलीवुड गमगीन हो गया है. निधन की समाचार को पाकर शनिवार को सिनेमा व कला संस्कृति से जुड़े कई लोग उनके पैतृक गांव राजनगर प्रखंड अंतर्गत के गोवर्धन पहुंच गये थे. उन्होंने अपने साथी कलाकार को नम आंखों से अंतिम विदाई दी.
ओलचिकी लिपि के सेवक थे सोनोत सोनो मुर्मू
सोनोत सानो मुर्मू संताली भाषा प्रेमी थे. वे संताली भाषा के अच्छे जानकारों मेंसे एक थे. वे भले ही सरायकेला-खरसावां जिले के स्थायी निवासी रहे हों. लेकिन उनका कर्मभूमि हमेशा पूर्वी सिंहभूम जिला रहा है. पूर्वी सिंहभूम जिले में संताली भाषा की लिपि ओलचिकी को प्रचार-प्रसार करने में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है. 80 के दशक में उनके नेतृत्व में कई जगहों पर ओलचिकी शिक्षण केंद्रों को खोला गया. उसने युवा, बुढ़े व स्कूली छात्रों को ओलचिकी लिपि में पढ़ना लिखना सीखाया. वर्तमान समय में ओलचिकी लिपि को जानने व समझने वालों की संख्या काफी अच्छी है. इसके पीछे कहीं न कहीं सोनोत सानो मुर्मू का कठिन प्रयास छुपा हुआ है.
अच्छे गीतकारों में शुमार था उनका नाम
सोनोत सानो मुर्मू का नाम एक अच्छे गीतकारों में शुमार था. वे ट्रेडिशनल गीत-संगीत के अच्छे जानकार थे. 1980-90 के दशक मेें उनके लिखे गीत काफी लोकप्रिय थे. या यूं कहें कि वे ट्रेडिशनल गीत-संगीत के किंग थे. वे गानों को खुद लिखते और गाते थे. इतना ही नहीं वे अपने गानों को खुद ही धुन तैयार कर संगीतबद्ध भी करते थे. वे गीत-संगीत के क्षेत्र में जैक ऑफ ऑल ट्रेड्स थे. उनके लिखे गीतों में माटी की खुशबू होती थी. जिसकी वजह से सुदूर गांव-देहात में उनके लिखे गानों का अच्छा-खासा क्रेज था. शादी हो या पार्टी, हर जगह उनके गाने जरूर सुनायी देते थे. यह उन दिनों की बात है जब कैसेट का जमाना था.
रूसिका ड्रामाटिक क्लब के साथ जुड़े थे
रूसिका ड्रामाटिक क्लब व रूसिका ऑरकेस्ट्रा ग्रुप के संस्थापक सदस्यों में से एक थे सोनोत सानो मुर्मू. रूसिका ड्रामाटिक क्लब व रूसिका ऑरकेस्ट्रा ग्रुप के बैनर तले सोनोत सानो मुर्मू ने झारखंड, बंगाल, ओडिशा समेत अन्य राज्यों में सैकड़ों लाइव प्रोग्राम को कर चुक हैं. उनकी सबसे बड़ी खूबी यह थी कि वे जिस प्रोग्राम में रहते थे. उसके लिए उदघोषक यानी अनांउसर की अलग से जरूरत नहीं पड़ती थी. जो मंच में गानों की प्रस्तुति देने के साथ-साथ अनांउसर के रूप में मंच को संभालने का भी काम करते थे. इतना ही जरूरत पड़ने पर म्यूजिशियन ग्रुप को भी ज्वांइन करते थे. दरअसल वे मांदर के भी अच्छे जानकार थे. जब कोई मांदर को बजाने वाला नहीं रहता तो वे खुद ही मांदर वादक के रूप में भी मोर्चा संभाल लेते थे. इन सबसे अलग बात यह थी कि वह हमेशा जॉली मुड में ही रहते थे. या यूं कहें एक ही जीवन में एकसाथ कई जीवन को जीते थे.
हमने सिनेमा जगत के स्तंभ को खो दिया: दशरथ हांसदा
संताली सिनेमा के निर्माता-निर्देशक व अभिनेता दशरथ हांसदा ने उनके निधन में गहरा दुख प्रकट किया है. उन्होंने कहा कि सोनोत सानो मुर्मू संताली सिनेमा जगत के एक मजबूत स्तंभ मेंसे एक थे. हमने सिनेमा जगत के एक मजबूत स्तंभ को हमेशा-हमेशा के लिए खो दिया. उन्होंने बताया कि उसने सोनोत सानो मुर्मू के साथ लंबे समय तक सिनेमा को सींचने का काम किया है. वे सहकर्मी से ज्यादा भाई थे. उनके साथ अपनेपन का रिश्ता था.


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