Nirjala Ekadashi 2024: निर्जला एकादशी, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है. इस दिन भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और निर्जला व्रत रखते हैं, यानी पूरे दिन पानी नहीं पीते हैं.
निर्जला एकादशी व्रत से मिलते हैं कई लाभ
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, निर्जला एकादशी व्रत करने से कई लाभ मिलते हैं. इस व्रत को करने से पापों का नाश होता है, पुण्य की प्राप्ति होती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है. भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और मन को शांति मिलती है.
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जल और फलों का दान करना शुभ
व्रत की शुरुआत सूर्योदय से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने से होती है. इसके बाद भगवान विष्णु के समक्ष व्रत का संकल्प लिया जाता है. फिर उनकी पूजा की जाती है और दान-पुण्य का महत्व भी निर्जला एकादशी से जुड़ा है. खासतौर पर इस दिन जल और फलों का दान करना शुभ माना जाता है.
सूर्योदय के बाद व्रत का पारण
पूरे दिन पानी न पीने के अलावा भोजन में भी सिर्फ फलों का ही सेवन किया जाता है. साथ ही ध्यान, मंत्र जाप और भजन करके भगवान विष्णु की आराधना की जाती है. रात में जागरण करके भी पूजा की जाती है. अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण किया जाता है.
Nirjala Ekadashi 2024: व्रत प्रारंभ
उदया तिथि के अनुसार: 19 मई 2024, बुधवार
एकादशी तिथि प्रारंभ: 18 मई 2024, मंगलवार, सुबह 11:22 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 19 मई 2024, बुधवार, दोपहर 1:50 बजे
Nirjala Ekadashi 2024: पूजा का शुभ मुहूर्त
19 मई 2024, बुधवार, सुबह 7:10 बजे से दोपहर 12:18 बजे तक
Nirjala Ekadashi 2024: पारण का मुहूर्त
20 मई 2024, गुरुवार, सुबह 5:28 बजे से सुबह 8:12 बजे तक
Nirjala Ekadashi 2024: धार्मिक महत्व
पाप नाश: निर्जला एकादशी व्रत को पापों का नाश करने वाला माना जाता है.
पुण्य प्राप्ति: इस व्रत को करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है.
सुख-समृद्धि: इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
मन की शांति: यह व्रत मन को शांत करने और एकाग्रता बढ़ाने में सहायक होता है.
Nirjala Ekadashi 2024: व्रत विधि
प्रातः स्नान: सूर्योदय से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
संकल्प: भगवान विष्णु के समक्ष निर्जला व्रत का संकल्प लें.
पूजा: भगवान विष्णु की प्रतिमा या मंदिर में पूजा करें.
दान: दान-पुण्य करें, विशेष रूप से जल और फल का दान.
व्रत का पालन: दिन भर जल ग्रहण न करें, केवल फलों का सेवन करें.
ध्यान और भजन: भगवान विष्णु के मन्त्रों का जाप करें, ध्यान करें और भजन गाएं.
रात्रि जागरण: रात में जागकर भगवान विष्णु की पूजा करें.
व्रत का पारण: अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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