Sunday, November 17, 2024
HomeBusiness78th Independence Day: 77 बरस में भारत कितना हुआ मजबूत, जानें किस...

78th Independence Day: 77 बरस में भारत कितना हुआ मजबूत, जानें किस रफ्तार से बढ़ा जीडीपी

78th Independence Day: भारत अपनी आजादी 78वां वर्षगांठ मनाने की तैयारी में जोर-शोर से जुट गया है. 15 अगस्त 2024 को लाल किले के प्राचीर पर तिरंगा झंठ फहराने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के लोगों को संबोधित करेंगे. अपने संबोधन में वह यह बताएंगे कि पिछले एक साल में देश कहां से कहां पहुंच गया है और आने वाले दिनों में कहां पहुंचेगा. एक प्रकार से देश में हुई प्रगति आंकड़ा और भविष्य के विकास का खाका पेश करेंगे. इन सबके बीच, सबसे महत्वपूर्ण यह जानना बेहद रोचक होगा कि 15 अगस्त 1947 को जब भारत आजाद हुआ था, तब इसके पास कितनी संपत्ति थी और आज जब हम 2024 में स्वतंत्रता दिवस मनाने रहे हैं, तब इन 77 सालों में हमारे देश ने कितनी आर्थिक प्रगति की है. हमारे देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कितनी वृद्धि हुई है. आइए, पिछले 77 सालों में अपने देश के आर्थिक विकास में हुई प्रगति के बारे में जानते हैं.

15 अगस्त 1947 को भारत का सकल घरेलू उत्पाद कितना था?

15 अगस्त 1947 को जब भारत अंग्रेजी हुकूमत की गुलामी से आजाद हुआ, तब इसका सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी या कुल आय 2.7 लाख करोड़ रुपये थी और उस समय देश की जनसंख्या मात्र 34 करोड़ थी. आज जब हम 2024 में स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं, तब देश का कुल जीडीपी करीब 295.4 लाख करोड़ रुपये के आसपास पहुंच गया. 1947 में भारत की साक्षरता दर 1947 में करीब 12 फीसदी थी, आज 2024 में 75 फीसदी के आंकड़े को पार कर गई है.

1950 से 1980 तक भारत की जीडीपी वृद्धि दर कितनी थी?

आजादी के करीब तीन साल बाद साल 1950 से 1980 तक के दशक के दौरान भारत के जीडीपी में वृद्धि 3.5 फीसदी रही, जबकि प्रति व्यक्ति आय वृद्धि औसतन 1.3 फीसदी प्रति वर्ष रही. इसके बाद वर्ष 1961 में भारत का जीडीपी ग्रोथ रेट 3.72 फीसदी पर पहुंच गई. हालांकि, वर्ष 1962 में इसमें करीब 0.79 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और यह 2.93 फीसदी पर पहुंच गई. लेकिन, वर्ष 1963 में इसमें करीब 3.06 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई और यह 5.99 फीसदी के स्तर तक आ गई.

1964 के अकाल में आर्थिक तौर पर टूट गया था भारत

वर्ष 1964 के दौरान भारत में भारी अकाल पड़ा. इस अकाल की वजह से देश में लाखों लोगों की जानें चली गई थीं. तब अमेरिका जैसे धनाढ्य देश भारत को आर्थिक सहायता के साथ ही पौष्टिक खाद्यान्न भी मुहैया कराते थे. इसी का नतीजा रहा कि वर्ष 1965 में सालाना 10.09 फीसदी की गिरावट के साथ भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट माइनस 2.64 फीसदी पर पहुंच गई. वर्ष 1964 के अकाल का असर भारत के जीडीपी ग्रोथ पर केवल एक वित्त वर्ष तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि वर्ष 1966 में भी यह माइनस 0.06 फीसदी तक पहुंच गया.

हरित क्रांति से भारत की आर्थिक वृद्धि ने फिर पकड़ी रफ्तार

1964 के अकाल के बाद मानसून अनकूल और कृषि आधारित भारतीय अर्थव्यवस्था में जब अकाल का दौर करीब-करीब खत्म हो गया. देश में सामान्य तरीके से वर्षा होने लगी. कृषि व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने हरित क्रांति का आह्वान किया. 1965 के बाद देश में हरित क्रांति का प्रभाव दिखने लगा, तब वर्ष 1967 में भारत की आर्थिक वृद्धि ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ी और देश का जीडीपी ग्रोथ रेट 7.83 फीसदी तक पहुंच गई.

इसे भी पढ़ें: इधर बैंक में चेक डाला, उधर झट से क्लियर

इमरजेंसी के समय 9.15 फीसदी थी भारत की वृद्धि दर

इसके बाद वर्ष 1971 में अचानक भारत के जीडीपी ग्रोथ में गिरावट दर्ज की गई और यह 1.64 फीसदी पर पहुंच गई. वर्ष 1972 में भारत की जीडीपी में 0.55 गिरावट दर्ज की गई. हालांकि, एक साल बाद वर्ष 1973 में जीडीपी में थोड़ी मजबूती आई और यह 3.30 फीसदी पर पहुंच गया, लेकिन वर्ष 1974 में गिरकर यह एक बार फिर 1.19 फीसदी पर पहुंच गया. जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में देश में इमरजेंसी लागू की गई थी, तब देश की जीडीपी ग्रोथ रेट 9.15 फीसदी थी. लेकिन, वर्ष 1976 में यह धड़ाम हो गई और यह 1.66 फीसदी के स्तर तक गिर गई.

इसे भी पढ़ें: Hindenburg की दूसरी रिपोर्ट से मचा कोहराम! सदमे में बाजार, जानें अब तक की कहानी

1977 के बाद अब तक कैसी रही भारत की आर्थिक वृद्धि

  • वर्ष 1977 : 7.25 फीसदी
  • वर्ष 1978 : 5.71 फीसदी
  • वर्ष 1979: 5.24 फीसदी
  • वर्ष 1980 : 6.74 फीसदी
  • वर्ष 1981 : 6.01 फीसदी
  • वर्ष 1982 : 3.48 फीसदी
  • वर्ष 1983 : 7.29 फीसदी
  • वर्ष 1984 : 3.82 फीसदी
  • वर्ष 1985 : 5.25 फीसदी
  • वर्ष 1986 : 4.78 फीसदी
  • वर्ष 1987 : 3.97 फीसदी
  • वर्ष 1987 : 3.97 फीसदी
  • वर्ष 1987 : 3.97 फीसदी
  • वर्ष 1988 : 9.63 फीसदी
  • वर्ष 1989 : 5.95 फीसदी
  • वर्ष 1990 : 5.53 फीसदी
  • वर्ष 1991 : 1.06 फीसदी
  • वर्ष 1992 : 5.48 फीसदी
  • वर्ष 1993 : 4.75 फीसदी
  • वर्ष 1994 : 6.66 फीसदी
  • वर्ष 1995 : 7.57 फीसदी
  • वर्ष 1996 : 7.55 फीसदी
  • वर्ष 1997 : 4.05 फीसदी
  • वर्ष 1998 : 6.18 फीसदी
  • वर्ष 1999 : 8.85 फीसदी
  • वर्ष 2000 : 3.84 फीसदी
  • वर्ष 2001 : 4.82 फीसदी
  • वर्ष 2002 : 3.80 फीसदी
  • वर्ष 2003 : 7.86 फीसदी
  • वर्ष 2004 : 7.92 फीसदी
  • वर्ष 2005 : 7.92 फीसदी
  • वर्ष 2006 : 8.06 फीसदी
  • वर्ष 2007 : 7.66 फीसदी
  • वर्ष 2008 : 3.09 फीसदी
  • वर्ष 2009 : 7.86 फीसदी
  • वर्ष 2010 : 8.50 फीसदी
  • वर्ष 2011 : 5.24 फीसदी
  • वर्ष 2012 : 5.46 फीसदी
  • वर्ष 2013 : 6.39 फीसदी
  • वर्ष 2014 : 7.41 फीसदी
  • वर्ष 2015 : 8.00 फीसदी
  • वर्ष 2016 : 8.26 फीसदी
  • वर्ष 2017 : 7.04 फीसदी
  • वर्ष 2018 : 6.12 फीसदी
  • वर्ष 2019 : 5.02 फीसदी
  • वर्ष 2020 : 3.7 फीसदी (कोविड महामारी का प्रभाव)
  • वर्ष 2021 : 6.6 फीसदी
  • वर्ष 2022 : 7.2 फीसदी
  • वर्ष 2023 : 8.2 फीसदी
  • वर्ष 2024 : 6.5-7 फीसदी (अनुमान)


Home

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular