द लंचबॉक्स’ की कहानी: बिना मिले ही शुरू हुई एक खास कनेक्शन
11 Years of Lunch Box: राइटेश बत्रा की फिल्म द लंचबॉक्स, जो 11 साल पहले रिलीजहुई थी, आज भी दिलों को छूने वाली फिल्म है. ये सिर्फ खाने के बारे में नहीं है, बल्कि उस इमोशनल कनेक्शन के बारे में है जो एक लंचबॉक्स के जरिए बनता है. ये स्टोरी हमें दिखाती है कि कैसे बिना मिले, सिर्फ नोट्स के जरिए दो अजनबी एक-दूसरे से जुड़ते हैं.
खाने के साथ शुरू हुआ कनेक्शन
इरफान खान का किरदार साजन फर्नांडिस और निमरत कौर की इला कभी आमने-सामने नहीं मिलते. लेकिन इला का पति के लिए भेजा गया लंचबॉक्स साजन तक पहुंच जाता है. साजन, जो अकेला और बोरिंग लाइफ जी रहा होता है, हर रोज़ इला के बनाए खाने का मजा लेने लगता है. इला को भी एहसास होता है कि उसके खाने से साजन की लाइफ में कुछ बदलाव आ रहे हैं. यहीं से उनकी बातचीत लंचबॉक्स के साथ-साथ नोट्स के जरिए शुरू होती है.
अनदेखी मोहब्बत
द लंचबॉक्स हमें दिखाती है कि प्यार सिर्फ मिलने से नहीं होता. साजन और इला के बीच जो कनेक्शन बना, वो बिना मिले और बिना किसी फोन कॉल्स के हुआ. ये दोनों एक-दूसरे की फीलिंग्स को समझने लगते हैं, और उनके बीच का ये खास बंधन सिर्फ एक लंचबॉक्स और कुछ प्यारे से नोट्स से बनता है. दोनों के लिए ये मोहब्बत दिखने से ज्यादा फील करने वाली बात थी.
फोन का ना होना बना खास
एक दिलचस्प बात ये है कि फिल्म में कोई भी कैरेक्टर फोन पर बात करते हुए नहीं दिखता. ये उनके बीच की बातों को और खास बना देता है. फोन के बिना भी उनका कनेक्शन और गहरा होता गया. साजन और इला को एक-दूसरे से बात करने के लिए टेक्स्ट या फोन की ज़रूरत नहीं थी, उनका रिश्ता कुछ अलग और प्यारा था.
जब साजन को खुद को देखना पड़ा
जैसे-जैसे उनका रिश्ता गहराता है, इला चाहती है कि वो दोनों एक बार आमने-सामने मिलें. लेकिन साजन डरता है कि इला उसे बूढ़ा और थका हुआ देखेगी, जबकि वो इला की यंगनेस से डरता है. साजन हमेशा से अदृश्य रहा है, इसलिए वो सामने आकर खुद को ‘देखे’ जाने से डरता है.
फिल्म का अनदेखा अंत
फिल्म का एंड क्लियर नहीं होता कि क्या साजन और इला मिलते हैं या नहीं. लेकिन लास्ट सीन में साजन लंचबॉक्स डिलीवरी करने वाले डब्बावालों के साथ इला के घर की तरफ जा रहा होता है. इससे लगता है कि शायद उनका फिर से मिलना संभव है.
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